राजस्थान हाईकोर्ट ने DOIT को बताया सबसे भ्रष्ट विभाग, IAS अखिल अरोड़ा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

जयपुर.

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के DOIT विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर बेहद तल्ख टिप्प्णी की है। याचिकाकर्ता डॉ. टीएन शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ACB डीजी को तलब किया था। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की है कि डीओआईटी राजस्थान का सबसे भ्रष्ट  विभाग बन चुका है और यहां लोगों के पास इतना सोना है कि उसे घर में रखने की जगह भी नहीं मिल रही।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ACB डीजी को निर्देश दिए कि DOIT विभाग में पिछले पांच सालों में जितने भी टेंडर हुए हैं उनकी जांच 4 सप्ताह में कर हाईकोर्ट को पेश करे। याचिकाकर्ता डॉ. टीएन शर्मा ने बताया कि DOIT विभाग के राजनैट प्रोजेक्ट के OIC कुलदीप यादव के खिलाफ आय से अधिक अकूत संपत्ति जुटाने के साक्ष्य मिले थे। लेकिन तत्कालीन चेयरमैन अखिल अरोड़ा के प्रभाव में ACB ने इस मामले में एफआर लगा दी।

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सबसे लंबे समय तक DOIT में रहे अरोड़ा
अखिल अरोड़ा DOIT में सबसे लंबे समय तक रहने वाले IAS अफसर हैं। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में वे 2013 से 2017 तक DOIT के सेक्रेट्री रहे। इसके बाद गहलोत सरकार आने के कुछ समय बाद ही वे फिर डीओआईटी में आ गए। जनवरी 2024 में मौजूदा सरकार ने उनसे डीओआईटी विभाग वापस लिया।

इनके कार्यकाल में विभाग का बजट 15 गुना बढ़ा
बीते 10 सालों में DOIT का बजट करीब-करीब 15 गुना तक बढ़ गया। वित्त वर्ष 2014-15 में वित्तीय लक्ष्य 367 करोड़ रुपए था जो 2023-24 में 5 हजार करोड़ से भी ज्यादा पहुंच गया। इस दौरान विभाग में हजारों करोड़ रुपए के टेंडर हुए जिनमें से ज्यादातर में बड़े घोटाले सामने आए।

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ACB ने खुद सरकार को अरोड़ा के खिलाफ जांच की अनुमति के लिए लिखा था
DOIT की टेंडर पत्रावलियों में कितनी गड़बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल अक्टूबर में तत्कालीन एसीबी डीजी हेमंत प्रियदर्शी ने सरकार को पत्र लिखकर अखिल अरोड़ा के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी थी। इसमें वीडियो वॉल टेंडर प्रत्रावली, सेल्प सर्विस कियोस्क प्रोजेक्ट और पहचान कियोक्स प्रोक्योरमेंट से जुड़ी टेंडर पत्रावलियों की गड़बड़ी का जिक्र था। इस पत्र में एसीबी ने सरकार को लिखा कि योजना भवन स्थित DOIT की जब्त शुदा टेंडर पत्रावलियों का परीक्षण करने के बाद पाया गया कि यह विस्तृत परीक्षण योग्य है। इसलिए ACB ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के 1998 की धारा ‘17 ए’ के तहत सरकार से अखिल अरोड़ा के खिलाफ अनुसंधान की अनुमति मांगी थी।

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बीजेपी ने उठाया मामला, सरकार आने के बाद उसी ने दबाया
वीडियो वाल टेंडर व अन्य टेंडरों के मामले विपक्ष में रहते हुए बीजेपी ने ही उठाए थे। इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस तक की गई थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने अखिल अरोड़ा के खिलाफ कार्रवाई तो दूर उनकी 17 ए की जांच की अनुमति के प्रकरण को भी दबा लिया। यही नहीं 108 IAS अफसरों के ताबदलों में भी अखिल अरोड़ा को नहीं बदला गया। नई सरकार के सबसे पॉवरफुल अफसरों में अब इनकी गिनती होने लगी है।

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